जीवन के अहसासों को लफ्ज़ देने की ये मेरी कोशिश..
कहीं सिर्फ तेरे नाम में सिमट के ना रह जाए...
Friday, July 13, 2007
चले जाना शौक से
चले जाना शौक से , जहाँ शायद हम ना हो.
दर्द तो होगा पर देखना , कहीं आँखे नम ना हो.
मुस्कराना यूं ही , नाम जो मेरा सुन लो कभी,
ये एक वादा कर लो , तो शायद मुझे भी गम ना हो.
1 comment:
Pankaj sir....Bahut badiya word use kiye hai......Super....Excellent.
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